तेरे डर को मेरा सलाम
जब तक डर है
इंसानियत कुछ बाकी है
चुप चाप तू भी है
चुप्पी तो हमने भी
ना तोड़ी है
आंखे मिलाना ज़रूरी है
तेरी आंखों में पढ़ी
हमने मजबूरी है
तेरे डर को मेरा सलाम
जब तक डर है
इंसानियत कुछ बाकी है
कब तक आंख मिचौली है?
कब तक चिंता की होली है?
आखिर हम हमजोली है
क्यूं ना सब बोल दें?
क्यूं ना हल्के हो जाए?
ये वजन कुछ भारी है
तेरे डर को मेरा सलाम
जब तक डर है
इंसानियत कुछ बाकी है
© प्रिया जैन
जब तक डर है
इंसानियत कुछ बाकी है
चुप चाप तू भी है
चुप्पी तो हमने भी
ना तोड़ी है
आंखे मिलाना ज़रूरी है
तेरी आंखों में पढ़ी
हमने मजबूरी है
तेरे डर को मेरा सलाम
जब तक डर है
इंसानियत कुछ बाकी है
कब तक आंख मिचौली है?
कब तक चिंता की होली है?
आखिर हम हमजोली है
क्यूं ना सब बोल दें?
क्यूं ना हल्के हो जाए?
ये वजन कुछ भारी है
तेरे डर को मेरा सलाम
जब तक डर है
इंसानियत कुछ बाकी है
© प्रिया जैन
No comments:
Post a Comment