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Wednesday, September 11, 2019

तेरे डर को मेरा सलाम

तेरे डर को मेरा सलाम
जब तक डर है
इंसानियत कुछ बाकी है

चुप चाप तू भी है
चुप्पी तो हमने भी
 ना तोड़ी है

आंखे मिलाना ज़रूरी है
तेरी आंखों में पढ़ी
 हमने मजबूरी है

तेरे डर को मेरा सलाम
जब तक डर है
इंसानियत कुछ बाकी है

कब तक आंख मिचौली है?
कब तक चिंता की होली है?
आखिर हम हमजोली है

क्यूं ना सब बोल दें?
क्यूं ना हल्के हो जाए?
ये वजन कुछ भारी है

तेरे डर को मेरा सलाम
जब तक डर है
इंसानियत कुछ बाकी है


© प्रिया जैन

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