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Sunday, September 8, 2019

ना तुम समझे

ना तुम समझे
ना हम समझा पाए
कौन गलत?
कौन सही?
क्या वक़्त है कम?
या हम वक़्त निकाल ना सके?
ना तुम समझे
ना हम समझा पाए


ना तुम समझे
ना हम समझा पाए
कुछ ख़्याल हैं
जो दिल में हैं सजे
वो चाहते हैं आज़ादी
क्यूं वो अल्फ़ाज़ बन ना सके?
ना तुम समझे
ना हम समझा पाए

ना तुम समझे
ना हम समझा पाए
मेरे सन्नाटे को
मेरी बेबसी ना समझना
मेरे सन्नाटे की
दबी आवाज़ तुम्हारा सकून
छीन सकती है
ना तुम समझे
ना हम समझा पाए

© प्रिया जैन

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