Pages

Saturday, April 10, 2021

तू गुजरता है हवाई जहाज सा

 तू गुजरता है हवाई जहाज सा

दिल की खिड़कियां खड़ खड़ाती हैं


तू बीतता है सूनी लंबी रातों  सा

तुझे सोचूं तो तारें टीम टिमटे हैं

तू आता है  ठंडी हवा के झोंके सा

मैं और मेरा आंचल सर सराता है


तू गुजरता है हवाई जहाज सा

दिल की खिड़कियां खड़ खड़ाती हैं


तू लंबे सफर का साथी सा

रेडियो की तरह गुन गुनाता है

तू है सूरज की पहली किरण सा

हर दिन नई उम्मीद जगमगाता है


तू गुजरता है हवाई जहाज सा

दिल की खिड़कियां खड़ खड़ाती हैं


तू पहली बारिश की बूंदों सा

फसलें तेरा नाम बुदबुदाती हैं

तू मिला है  बड़ी शिद्दतों से

चलो फिर मुहब्बत आजमाते हैं


तू गुजरता है हवाई जहाज सा

दिल की खिड़कियां खड़ खड़ाती हैं


© प्रिया जैन










Friday, April 9, 2021

Is this

 It was so alluring to read

I read it again and again

Writing alike is my need

I want to write to remain

I want to write to sustain


Is this jealousy?

Or

Is this creativity?


Those little black dress

Worn by sultry women

Leave me in great mess

My curves are my tension

My curves are my burden


Is this comparison?

Or

Is this inspiration?


I saw myself in the mirror

I found galaxy in my eyes

untamed world in my hair

Mountain playing eye spies

Lying under my chin

breezy river in my smile

Is it me or my twin?

Is this my unique style?

I will get it in a while


Is this self obsession?

Or

Is this self confidence?


©Priya Jain



Thursday, April 1, 2021

मैं हूं इकलौती

आज फिर कुछ लिखने का मन हुआ है

क्या लिखूं फिर कोई कल्पना नहीं है

दिल में दबे अरमानों पर लिखूं या

रंग बिरंगे आसमानों पर

लाल फूल पर पड़ी ओस की बूंदों पर या

बारिश के पानी की छीटों पर

बहते सफ़ेद झरनों के संगीत पर या

गांव के किसी महल के अतीत पर

उगते ढलते सूर्य और चांद के उजाले पर या

ये खूबसूरत श्रृष्टि बनाने वाले पर



लो चिड़िया भी चहक कर बोल उठी

 लिखो कुछ मेरी व्यथा पर भी

 खुले आकाश में हूं उड़ती

सबको नजर आती मेरी आजादी

पर क्या इसी में है मेरी खुशी ?

चलो सुनी मेरे संगर्ष की कहानी

तेज़ तापमान, पानी की कमी

मेरा रोम रोम झंझोर देती 

जलो न आजादी से मेरी

आजादी ले लो, दे दो मुझे मेरी जिंदगी।



बूढ़ी अम्मा आई और बोली

 मेरे पर भी लिखो, कुछ बेटी

चढ़ गई हूं मैं सोने की सीढ़ी 

सब कहते हैं मुझे भाग्यशाली

फिर क्यों हूं मैं इतनी अकेली 

शरीर ना रहा मेरा साथी

खबराता रहता है मेरा जी

लंबी उमर ले लो, लौटा दो मुझे मेरी खुशी



एक सेठ भी आया और बोला

मेरे पर बहुतों ने लिखा

तुम भी कुछ लिखो

मेरे पास है बड़ा बंगला

बड़ी गाड़ी और बड़ा बगीचा 

हर वो समान जो आराम है देता

लेकिन फिर भी हूं मैं बहुत अकेला 

मेरी तन्हाई, मेरा सन्नाटा है मुझे काटता

अहम ले लो, लौटा दो मुझे मेरी शालीनता


मेरे अंदर की आवाज़ बोल उठी

देखो अपने जीवन की खूबसूरती

बंद करो कोशिश दूसरों से बराबरी की

तुम हो जिम्मेदार अपनी शांति की

तुम हो हक्कदार अपनी खुशी की

तुम वो हो, जो तुम बनना हो चाहती

तुम ही सत्य हो, तुम हो ईकलौती



© प्रिया जैन