तेरा लिखा
मैंने पढ़ा
मानो लगा,
मेरे लिए ही लिखा हो
तेरा कहा
मैंने सुना
ऐसा लगा
मुझसे ही कहा हो
वो आवाज़ में खनक
वो नाक से खिसकती ऐनक
वो सस्वरपाठ में ठहेराव
वो ख़यालो का बहाव
वो शब्दों का चयन
वो गहन लेखन
वो सांसों की ध्वनी
वो चेहरे की रोशनी
वो दिल में उमड़े अरमान
वो चमकता अभिमान
वो थोड़ी सी हिचकिचाहट
वो कविता की सजावट
वो हज़ारों खव्याहिशें
वो अनकहीं रंजिशें
सब में मैंने खुद को पाया
सब में मैंने खुद को पाया
कहीं तुम में मैं तो नहीं?
वो हर शक़्स,
जिसने तुम्हे पढ़ा
क्या यही पूछता है,
कहीं तुम में मैं तो नहीं?
© प्रिया जैन
मैंने पढ़ा
मानो लगा,
मेरे लिए ही लिखा हो
तेरा कहा
मैंने सुना
ऐसा लगा
मुझसे ही कहा हो
वो आवाज़ में खनक
वो नाक से खिसकती ऐनक
वो सस्वरपाठ में ठहेराव
वो ख़यालो का बहाव
वो शब्दों का चयन
वो गहन लेखन
वो सांसों की ध्वनी
वो चेहरे की रोशनी
वो दिल में उमड़े अरमान
वो चमकता अभिमान
वो थोड़ी सी हिचकिचाहट
वो कविता की सजावट
वो हज़ारों खव्याहिशें
वो अनकहीं रंजिशें
सब में मैंने खुद को पाया
सब में मैंने खुद को पाया
कहीं तुम में मैं तो नहीं?
वो हर शक़्स,
जिसने तुम्हे पढ़ा
क्या यही पूछता है,
कहीं तुम में मैं तो नहीं?
© प्रिया जैन
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