Sunday, December 22, 2019

यह ठीक नहीं

यह जो हो रहा है
मुनासिब है या नहीं
कुछ बयां कर सकते नहीं
और यह कुछ ठीक नहीं

मेरा देश फिर बट रहा है
सियासत का खेल चल रहा है
देश में शोरगुल का
मौसम चल रहा है
यह कुछ ठीक नहीं



देश तेरा है या मेरा है
देश इसका है या उसका है
ये देश किसका है?
यह सवाल अपने आप में
कुछ ठीक नहीं


इंसानियत बिक चुकी है
अफरा तफरी मच चुकी है
अवाम ना वाकिफ हो चुकी है
इस देश की हालत
कुछ ठीक नहीं


कहीं दिल पसीज जाता है
तो कहीं दिल में उत्साह है
क्या हम सब भौखला गए है?
सिर्फ़ खबरें पढ़ना कुछ ठीक नहीं

तेरी मेरी करते रहो
किसका भला होना है?
इस देश में होता देख ग़लत
आवाज़ उठाना ठीक है
हाथ उठाना ठीक नहीं

ठीक है तो क्या है?
कब तक का रोना है?
भगवान है या अल्लाह है
सूर्य है या आफ़ताब है
यह देश हम सबका है
हम है तो देश है
हम नहीं तो कुछ नहीं
यह बात जल्द समझनी होगी
अब ढील देना कुछ ठीक नहीं

© प्रिया जैन



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