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Sunday, December 22, 2019

यह ठीक नहीं

यह जो हो रहा है
मुनासिब है या नहीं
कुछ बयां कर सकते नहीं
और यह कुछ ठीक नहीं

मेरा देश फिर बट रहा है
सियासत का खेल चल रहा है
देश में शोरगुल का
मौसम चल रहा है
यह कुछ ठीक नहीं



देश तेरा है या मेरा है
देश इसका है या उसका है
ये देश किसका है?
यह सवाल अपने आप में
कुछ ठीक नहीं


इंसानियत बिक चुकी है
अफरा तफरी मच चुकी है
अवाम ना वाकिफ हो चुकी है
इस देश की हालत
कुछ ठीक नहीं


कहीं दिल पसीज जाता है
तो कहीं दिल में उत्साह है
क्या हम सब भौखला गए है?
सिर्फ़ खबरें पढ़ना कुछ ठीक नहीं

तेरी मेरी करते रहो
किसका भला होना है?
इस देश में होता देख ग़लत
आवाज़ उठाना ठीक है
हाथ उठाना ठीक नहीं

ठीक है तो क्या है?
कब तक का रोना है?
भगवान है या अल्लाह है
सूर्य है या आफ़ताब है
यह देश हम सबका है
हम है तो देश है
हम नहीं तो कुछ नहीं
यह बात जल्द समझनी होगी
अब ढील देना कुछ ठीक नहीं

© प्रिया जैन



Monday, December 16, 2019

आज ठंड बहुत है

आज ठंड बहुत है
ना तुम हो, ना तुम्हारी बातें है
अब बस लंबी रातें हैं
तेरे दृश्यें हैं और आहटें बहुत है
आज कुछ ठंड बहुत है


चाय पीने की इच्छा बहुत है
तूने समय में मुझे पीछे खीचा बहुत है
मेरे बिस्तर पर सिलवटें बहुत है
सिलवटों में शिकन बहुत है
आज कुछ ठंड बहुत है

बचपना तो पहले भी था
मेरे दिल में अकेलापन बहुत है
आज कुछ लड़कपन बहुत है
तेरी मेरी डोर मजबूत बहुत है
तोड़ना चाहूं भी तो कैसे
उस पर लगा यादों का मोम बहुत है
आज कुछ ठंड बहुत है

रो रो के दिल ज़ार ज़ार हो गया है
तूने ही मुझे कमज़ोर किया है
इस बात का गिला बहुत है
तू तो जल गया
इस डोर को भी जला जाता
इस बात का अफ़सोस बहुत है
आज कुछ ठंड बहुत है

© प्रिया जैन














Tuesday, December 10, 2019

Where is Love?

Where is love?
Is it dying under the quintals of gratitude?
For love,
Gratitude is a shadow or a substitute?
Can love and gratitude have the same soul?
Or
Love gets dusted as the carpet of gratitude rolls?

© Priya Jain

Wednesday, December 4, 2019

JUST FLOAT

When you are in doubt
Just float
When you freakout
Just float
When things don't fall in place
When all around there is Haze
Lie down straight
And take a leap of faith
And Just float


Water don't pull you down
It's your fear that makes you drown
So don't frown
And just float
Release the weight of impatience
You will cross the ocean
Just stop fiddling and motion
And just float

Leave your expectations behind
Leave your complaints behind
Look above as someone is kind
You will rise and float
In the story he wrote
Just float
When in doubt
Take a deep breath
 And Just float

©Priya Jain