ज़िद्दी कौन?
मैं या मेरी ज़िन्दगी?
शरारती तू बड़ी
मैं भी कुछ कम नहीं
दे तू मुझे ज़ख्म
देख फिर
मेरी कलम का दम
ऐ ज़िन्दगी तू ज़िद्दी
या मैं, जानती मैं नहीं
गिरा मुझे तू
उठ मैं जाऊंगी
रू बरू करती तू
जुदा भी करती तू
यादें लेजा सकती है क्या?
ऐ ज़िन्दगी तू ज़िद्दी
या मैं
बतला सकती है क्या
सबक सिखाती तू
मैं सीखना चाहती हूं
खुशियां बांटती तू
बटोरना मैं जानती हूं
रूसाती भी तू
उलझाती भी तू
मैं रुकती नहीं
थकती नहीं
फरेबी भी तू
मतलबी भी तू
तो क्या मैं थम जाऊं?
मैं गिर जाती हूं
मैं रुकती नहीं
थकती नहीं
ऐ ज़िन्दगी तू ज़िद्दी
या मैं, मैं जानती नहीं
© प्रिया जैन
मैं या मेरी ज़िन्दगी?
शरारती तू बड़ी
मैं भी कुछ कम नहीं
दे तू मुझे ज़ख्म
देख फिर
मेरी कलम का दम
ऐ ज़िन्दगी तू ज़िद्दी
या मैं, जानती मैं नहीं
गिरा मुझे तू
उठ मैं जाऊंगी
रू बरू करती तू
जुदा भी करती तू
यादें लेजा सकती है क्या?
ऐ ज़िन्दगी तू ज़िद्दी
या मैं
बतला सकती है क्या
सबक सिखाती तू
मैं सीखना चाहती हूं
खुशियां बांटती तू
बटोरना मैं जानती हूं
रूसाती भी तू
उलझाती भी तू
मैं रुकती नहीं
थकती नहीं
फरेबी भी तू
मतलबी भी तू
तो क्या मैं थम जाऊं?
मैं गिर जाती हूं
मैं रुकती नहीं
थकती नहीं
ऐ ज़िन्दगी तू ज़िद्दी
या मैं, मैं जानती नहीं
© प्रिया जैन
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