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Saturday, June 29, 2019

तसव्वुर तो नहीं, तुम


शायद  बाद - ए - आज़ादी हो , तुम मेरे
दूर ले जाते हो मुझे,सब तलुक्कतों से मेरे
कहीं खूबसूरत तसव्वुर तो नहीं, तुम
जनाब कोई मोजिज़ा मालूम पड़ते हो

तेरी कुरबत में महफूज  महसूस करती हूं मैं
 सकून अब, सिर्फ एक अल्फ़ाज़ नहीं है
कहीं खूबसूरत तसव्वुर तो नहीं, तुम
जनाब कोई मोजिज़ा मालूम पड़ते हो

नज़दीकियों में तेरी आयात सी हो जाती हूं मैं
तेरी मेरी रूह अक्सर बातें किया करती हैं
कहीं खूबसूरत तसव्वुर तो नहीं, तुम
जनाब कोई मोजिज़ा मालूम पड़ते हो

ये रिश्ता एक शराब ए खयाल ,तो नहीं
तुम्हे इतेफाक़ कहूं या इनायत, मैं जानती नहीं
कहीं खूबसूरत तसव्वुर तो नहीं, तुम
जनाब कोई मोजिज़ा मालूम पड़ते हो

© प्रिया जैन

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